पत्थर की है दुनियाँ जज़्बात नही समझती
दिल मे क्या है वो बात नही समझती
तन्हा तो चाँद भी है सितारो के बीच
मगर चाँद का दर्द बेवफा रात नही समझती
हम दर्द झेलने से नही डरते
पर उस दर्द के खत्म होने की कोई आस तो हो
दर्द चाहे कितना भी दर्दनाक हो
पर दर्द देने वाले को उसका एहसास तो हो
उनको अपने हाल का हिसाब क्या देते
सवाल सारे गलत थे हम जवाब क्या देते
वो तो लफ्ज़ो की हिफाज़त भी ना कर सके
फिर उनके हाथ मे ज़िन्दगी की पुरी किताब क्या देते
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