15 Oct 2014

दाग दुनिया ने दिए जख़्म ज़माने से मिले / 'कैफ़' भोपाली

दाग दुनिया ने दिए जख़्म ज़माने से मिले
हम को तोहफे ये तुम्हें दोस्त बनाने से मिले

हम तरसते ही तरसते ही तरसते ही रहे
वो फलाने से फलाने से फलाने से मिले

ख़ुद से मिल जाते तो चाहत का भरम रह जाता
क्या मिले आप जो लोगों के मिलाने से मिले

माँ की आगोश में कल मौत की आगोश में आज
हम को दुनिया में ये दो वक्त सुहाने से मिले

कभी लिखवाने गए ख़त कभी पढ़वाने गए
हम हसीनों से इसी  बहाने से मिले

इक नया जख़्म मिला एक नई उम्र मिली
जब किसी शहर में कुछ यार पुराने से मिले

एक हम ही नहीं फिरते हैं लिए किस्सा-ए-गम
उन के खामोश लबों पर भी फसाने से मिले

कैसे माने के उन्हें भूल गया तू ऐ ‘कैफ’
उन के खत आज हमें तेरे सिरहाने से मिले

कौन आएगा यहाँ कोई न आया होगा 'कैफ़' भोपाली

कौन आएगा यहाँ कोई न आया होगा
मेरा दरवाजा हवाओं ने हिलाया होगा

दिल-ए-नादाँ न धड़क ऐ दिल-ए-नादाँ न धड़क
कोई ख़त ले के पड़ौसी के घर आया होगा

इस गुलिस्ताँ की यही रीत है ऐ शाख़-ए-गुल
तू ने जिस फूल को पाला वो पराया होगा

दिल की किस्मत ही में लिखा था अँधेरा शायद
वरना मस्जिद का दिया किस ने बुझाया होगा

गुल से लिपटी हुई तितली हो गिरा कर देखो
आँधियों तुम ने दरख़्तों को गिराया होगा

खेलने के लिए बच्चे निकल आए होंगे
चाँद अब उस की गली में उतर आया होगा

‘कैफ’ परदेस में मत याद करो अपना मकाँ
अब के बारिश ने उसे तोड़ गिराया होगा...

~~~~ 'कैफ़' भोपाली

19 May 2014

कहीं से कुछ भी

वक़्त रहते संभाल लो मुझे
कहीं तुम मुझे खो दो और तुम्हे खबर भी न हो !
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मेरे पीठ पे जो जख्म हे वो दोस्तो कि निशानी हे…,
वरना सिना तो आज भि दुश्मनो के इंतज़ार  मे बेठा हे….!
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अपने शब्दों में ताकत डालें आवाज में नहीं
बारिश से फूल उगते हैं, तूफ़ान से नहीं….
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पलकों में आँसु और दिल में दर्द सोया है,
हँसने वालो को क्या पता, रोने वाला किस कदर रोया है,
ये तो बस वही जान सकता है मेरी तनहाई का आलम,
जिसने जिन्दगी में किसी को पाने से पहले खोया है..!!
********
“वो रोए तो बहुत, पर मुझसे मूह मोड़ कर रोए,
कोई मजबूरी होगी तो दिल तोड़ कर रोए,
मेरे सामने कर दिए मेरे तस्वीर के टुकड़े,
पता चला मेरे पीछे वो उन्हे जोड़ कर रोए.”
********
कुछ इस तरहा से सौदा कीया मुझसे मेरे वक़्त ने,
तजुर्बे देकर वो मुझसे मेरी नादानीया ले गया।
********
जिन्दगी आज कल गुजर रही है इम्तिहानो के दौर से…..
एक जख्म भरता नही दूसरा आने की जिद करता है…
********
“आसमान से तोड़ कर ‘तारा’ दिया है|
आलम ए तन्हाई में एक शरारा दिया है|
मेरी ‘किस्मत’ भी ‘नाज़’ करती है मुझे पे
खुदा ने ‘ग्रुप’ ही इतना प्यारा दिया है…”
*********
खुदा की मोहब्बत को फना कौन करेगा?
सभी बन्दे नेक तो गुनाह कौन करेगा?
********
सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ।
वो जिंदगी ही क्या जो छाँव छाँव चली।।….
हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली।
कुछ यादें मेरे संग पांव पांव चली।
********
अच्छे होते हैं बुरे लोग ।
कम से कम अच्छे होने का,
वे दिखावा तो नहीं करते ।
********
सबर कर बन्दे मुसीबत के दिन भी गुज़र जायेंगे…
हसी उड़ाने वालो के भी चेहरे उतर जायेंगे…
*******
इतना, आसान हूँ कि हर किसी को समझ आ जाता हूँ ,
शायद तुमने ही .. पन्ने छोड़ छोड़ कर पढ़ा है मुझे …!!
********
अपनी ज़िन्दगी का एक अलग उसूल है,
दोस्त की खातिर मुझे कांटे भी कुबूल है,
हस के चल दूँ मैं कांच के टुकडो पर,
अगर दोस्त कह दे की ये तो मेरे बिछाए हुए फूल हैं.
********
ना शाख़ों ने जगह दी ना हवाओ ने बक़शा,
वो पत्ता आवारा ना बनता तो क्या करता…..!!
********
“जो भी हूं तेरा ही हूं !!
मुझसे ऐ मेरी जान मेरी जात न पूछ”..
********
वाह रे ईश्क…!
कया कहना तेरा…!!
जो तुजे जान ले…!!!
तु उसी की जान ले…!
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” तुझे जींदगी भर याद रखने की कसम तो नहीं ली,
पर एक पल के लिए तुझे भुलाना भी मुश्किल है…..!! “
********
जरा बताओ तो.. किसे गुरुर है अपनी दौलत पर…
चलो उसे बादशाहों से भरा कब्रस्तान दिखाता हु..”
*******
ऐ ज़िन्दगी तू अपनी रफ़्तार पे ना इतरा,
जो रोक ली मैंने अपनी साँसें तो तू भी चल
ना पायेगी…
********
मुश्कीलो मै भाग जाना आसान होता है…
हर पहेलू जिंदगी का ईम्तेहान होता हैं…
डरने वालो को कुछ मिलता नहि जिंदगी मैं…
और लडने वालो के कदमो मै जहॉं होता है…
********

बहूत ही अजीब खेल है यह “मोहब्बत”
जो हारा वो फिर से ना खेला…
और जो जीता उसने भी तौबा करली…
********
तमन्ना हो अगर मिलने की ,,
तो हाथ रखो दिल पर …
हम धड़कनों में मिल जायेंगे ..
********
रख हौसला वो मन्ज़र भी आएगा,
प्यासे के पास चल के समंदर भी आयेगा,
थक कर ना बैठ ऐ मंज़िल के मुसाफिर,
मंज़िल भी मिलेगी और मिलने का मजा भी आयेगा !!
*********
वक़्त से लड़कर जो अपना नसीब बदल दे, इंसान वही जो अपनी तकदीर बदल दे,
कल क्या होगा कभी ना सोचो,
क्या पता कल वक़्त खुद अपनी लकीर बदल दे….. !
*********
जिसके पास थोडा है वह गरीब नही है, लेकिन जो अधिक पाने की इच्छा रखता है वह गरीब है |
*********
वो मोहब्बत के सौदे भी अजीब करता है;
बस मुस्कुराता है और दिल खरीद लेता है
*******
ख़बरदार दुबारा मुहब्बत न करना
जरुरी नहीं हर बार खुदकुशी की कोशिश
करके जिन्दा बच जाओगे
*******
साँचे में किसी और की मुहब्बत के हमने , खुद को कभी ढलने नहीं दिया ,
आँखों को आज भी तेरा इन्तजार है कि गुलाल किसी को मलने नहीं दिया
********
सोचते है, अब हम भी सीख ले यारों बेरुखी करना,,,,,,
सबको मोहब्बत देते-देते, हमने अपनी कदर खो दी है,,,,,,!
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किताबों की तरह हैं हम भी….
अल्फ़ाज़ से भरपूर, मगर ख़ामोश….!!
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बारूद मेरे अन्दर का भीग गया तेरे आंसुओं से वरना ये दिल एक बड़ी घटना को अंजाम दे देता…!!!!
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कभी जिंदगी में किसी के लिये मत रोना, क्योंकि वो तुम्हारे आँसुओं के क़ाबिल ना होगा और जो इन आँसुओं के क़ाबिल होगा, वह तुम्हें रोने ही नहीं देगा ।
*******
छोड दी हमने हमेशा के लिए उसकी आरजू करना…
जिसे मोहब्बत की कद्र ना हो उसे दुआओ मे क्या मांगना…
********
इंतज़ार की आरज़ू अब खो गयी है,
खामोशियो की आदत हो गयी है,
न सीकवा रहा न शिकायत किसी से,
अगर है तो एक मोहब्बत,
जो इन तन्हाइयों से हो गई है..!
*******
मुझे नींद की इजाज़त भी उसकी यादों से लेनी पड़ती है;
जो खुद तो सो जाती है, मुझे करवटों में छोड़ कर!
*********
काश की बचपन में ही तुझे मांग लेते..
हर चीज मिल जाती थी दो आसूं बहाने से..
********
“मतलबी लडकी से अच्छी तो मेरी सिगरेट हे
यारो……..
जो मेरे होठ से अपनी जिंदगी शुरू करती हे ओर
मेरे कदमो के नीचे अपना दम तोड देती हे…!”
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साथ छोडने वालो को तो बस.. ऐक बहाना चाहिए।
वरना निभाने वाले तो मौत के दरवाझे तक साथ नही छोडते।
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“नदी जब किनारा छोड देती हैं,
राह की चट्टान तक तोड देती हैं,
बात छोटी सी अगर चुभ जाए दिल में तो,
जिंदगी के रास्तों को भी मोड देती हैं.”
*******
“हम अपना दर्द किसी को कहते नही,
वो सोचते हैं की हम तन्हाई सहते नही,
आँखों से आँसू निकले भी तो कैसे,
क्योकि सूखे हुवे दरिया कभी बहते नही.”
********
“थक गया हूँ तेरी नौकरी से ऐ जिन्दगी
मुनासिब होगा मेरा हिसाब कर दे…!!”
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या खुदा ‘दिल’ तो तुडवा दिया तूने इश्क के चक्कर में
कम से कम ‘लीवर’ तो संभालना दारु पीने के लिए.
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खुशनसीब वो नहीं. जिसका नसीब अच्छा है . खुशनसीब वो है जो अपने नसीब से खुश है
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है .. कोई वक़ील .. इस जहान में … दोस्तों .. जो हारा हुआ इश्क़ जिता दे मुझको !
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इश्क और सुकून, वो भी दोनों एक साथ ?
रहने दो यारों, कोई अक्ल वाली बात करो.. !!
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हजार जवाबों से अच्छी है खामोशी,ना जाने कितने सवालों की आबरू रखती है…
********
ढूंढ रहा हूँ मगर नकाम हूँ अब तक!
वो लम्हा, जिस्मे तुम याद न आये हो!
*******
दरिया ने झरने से पुछा …
तुझे समन्दर नहीं बनना है क्या ?
झरने ने बडी नम्रता से कहा …
बडा बनकर खारा हो जाने से अच्छा है
कि मैं छोटा रह कर मीठा ही रहुं …
*********
बस इतनी सी बात पर हमारा परिचय तमाम होता है !
हम उस रास्ते नही जाते जो रास्ता आम होता है…!!!!
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जिंदा रहे तो हर दिन तुम्हे याद करेंगे,
भूल गये तो ये
समझ लेना, खुदा ने हमें याद कर लिया….
*********
ग़ज़ब की एकता देखी लोगों की ज़माने में ..
ज़िन्दों को गिराने, मुर्दों को उठाने में ..
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आंधियों से न बुझूं ऐसा उजाला हो जाऊँ,वो नवाज़े तो जुगनू से सितारा हो जाऊँ,एक क़तरा हूँ मुझे ऐसी सिफ़त दे मौला,कोई प्यासा दिखे तो दरिया हो जाऊँ।
**********
मेरी चाहत ने उसे खुशी दे दी,
बदले मे उसने मुझे खामोशी दे दी.
खुदा से दुआ माँगी मरने की,
लेकिन उसने भी तड़पने के लिए ज़िंदगी दे दी …
*********
गुमान न कर अपनी खुश-नसीबी का, खुदा ने गर चाहा ;
तो तुझे भी इश्क होगा.
*********
मैं फकीरों से भी सौदा करता हूँ अक्सर…..
जो एक रुपये में लाख दुआएं देता है……. .!!
**********
ख्वाइशों से भरा पड़ा है घर इस कदर,,
रिश्ते ज़रा सी जगह को तरसतें हैं.!!!!!
*********
“इसी लिए तो बच्चों पे नूर सा बरसता है,
शरारतें करते हैं, साजिशें तो नहीं करते….!!
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“तू अचानक मिल गई तो कैसे पहचानुंगा मैं,
ऐ खुशी.. तू अपनी एक तस्वीर भेज दे….!!!!
**********
मोबाइल चलाना जिसे सिखा रहा हूँ मैं,
पहला शब्द लिखना उसने मुझे सिखाया था….!!!!
***********
नींद आए या ना आए, चिराग बुझा दिया करो,
यूँ रात भर किसी का जलना, हमसे देखा नहीं जाता….!!!!
********
मुलाकात जरुरी हैं, अगर रिश्ते निभाने हो,
वरना लगा कर भूल जाने से पौधे भी सुख जाते हैं….!!!!
*********
जैसा भी हूं अच्छा या बुरा अपने लिये हूं,
मै खुद को नही देखता औरो की नजर से….!!!!
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ये सोच कर की शायद वो खिड़की से झाँक ले,
उसकी गली के बच्चे आपस में लड़ा दिए मैंने….!!!!
**********
हज़ारों ऐब ढूँढ़ते है हम दूसरों में इस तरह,
अपने किरदारों में हम लोग,फरिश्तें हो जैसे….!!!!
********
“दिन बीत जाते हैं सुहानी यादें बनकर,
बातें रह जाती हैं कहानी बनकर,
पर दोस्त तो हमेशा दिल के करीब रहेंगे,
कभी मुस्कान तो कभी आखों का पानी बन कर.”
*********
लगता है तन्हाई में आहें, भरे जा रहे हैं,
याद कर के रात हिज्र की, सहे जा रहे हैं,
दिल की तबाही का, हुआ हादसा शहर में,
अब गाँव की मिटटी से भी, डरे जा रहे हैं,…
*********
मुजे ऊंचाइयों पर देखकर हैरान है बहुत लोग,
पर किसी ने मेरे पैरो के छाले नहीं देखे…
*********
ऐ ईश्क सुना था के… तु अंन्धा है
फिर मेरे धर का राश्ता तुजे कीसने बताया!!!?
*******
आपके आने से ज़िंदगी कितनी खूबसूरत है,
दिल मे बसी है जो वो आपकी ही सूरत है,
दूर जाना नही हमसे कभी भूलकर भी,
हमे हर कदम पर आपकी ज़रूरत है.
*********
पानी फेर दो इन पन्नों पर, ताकि धुल जाए सियाही सारी
ज़िन्दगी फिर से लिखने का मन होता है कभी-कभी !!
*********
उसने पुछा : कहाँ रहेते हो..?
मैने कहा: अपनी औकात मे..रहेता हुं
********
लग जाए जमाने की हवा, जाने कब उसको…
वो शक्स भी इंसान है, कुछ कह नहीं सकते !!
******
वैसा ज़माना आ गया जैसा सूना था
रोग सस्ते और दवा महँगा हो गया
********
ज़िन्दगी भर के इम्तिहान के बाद,,
वो नतीजे में किसी और के निकले..
*********
“तन जला कर रोटियां पकाती है माँ
नादान बच्चे अचार पर रूठ जाते हैं |”
********
खुदा ने मुझे वफादार दोस्तों से नवाज़ा है ….
.
.
याद मैं ना करूँ, तो कोशिश वो भी नहीं करते ….. !!
**********
अंगुलिया टूट गई …पत्थर तराशते तराशते … दोस्त
जब बनी सूरत यार की ..तो खरीददार आ गये !!
********
मै!खाने मे आऊंगा मगर…पिऊंगा नही साकी…
ये शराब मेरा गम मिटाने की औकात नही रखती…
*******
पुराने रिवाजों कों अब कौन जिन्दा रखता है,
खोटे सिक्कों का हिसाब अब कौन रखता है ,
कुछ लोंग भी होते हों खोटे सिक्कों कि तरह ,
भला उन्हें अपने बटुए की पनाह में अब कौन रखता है!!!!!!
*********
जिंदगी तो उसकी है जिसकी मौत पे जमाना अफसोस करे,
वरना जनम तो हर किसी का मरने के लिए ही होता है…
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बरसी मनाने आ ही जाओ,
वापस दिन आ गया जुदा होने वाला
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सीख रहा हूं अब मैं भी इंसानों को पढने का हुनर
सुना है चेहरे पे किताबों से ज्यादा लिखा होता है!
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हसरत-ए-दीदार के लिये हमने उसकी गली में मोबाईल की दुकान खोली,
मत पूछो अब हालात-ए-बेबसी हमारी गालिब,रोज़ एक नया शख्स उनके नम्बर पे रीचार्ज़ करवाने आता है !
*********
मैं चलते-चलते इतना थक गया हूँ, चल नहीं सकता, मगर मैं सूर्य हूँ, संध्या से पहले ढल नहीं सकता.
*********
बड़ी तब्दीलियां लाया हूँ अपने आप में लेकिन..
बस तुमको याद करने की वो आदत अब भी है..
*********
“सीना तान ” हु , पर “सेतान” नही हु
********
किस किस का नाम लें, अपनी बरबादी मेँ;
बहुत लोग आये थे दुआयेँ देने शादी मेँ !
*********
बहुत शौक से उतरे थे इश्क के समुन्दर में..!!
एक ही लहर ने ऐसा डुबोया कि आजतक किनारा ना मिला.!!
********
जिन्दगी बैठी थी अपने हुस्न पै फूली हुई,
मौत ने आते ही सारा रंग फीका कर दिया।
*******
हम ये नहीं चाहते की कोई आपके लिए ‘दुआ’ ना मांगे
हम तो,
बस इतना चाहते है की
कोई ‘दुआ में ‘आपको’ ना मांगे ..
*********
अब इन आँखों से भी जलन होती हैं मुझे !
खुली हो तो याद तेरी, और बंद हो तो ख्वाब तेरे !
*********
“हर नज़र को 1 निगाह का हक़ है,
हर नूर को 1 आह का हक़ है.
हम भी दिल लेकर आये है इस दुनिया में,
हमे भी तो 1 गुनाह का हक़ है”
********
‘कभी वक्त मिले तो रखना कदम ,
मेरे दिल के आगंन में !
हैरान रह जाओगे मेरे दिल में ,
अपना मुकाम देखकर’
*********
” मत किया करिये दिन के
उजालों की ख्वाहिशें ऐ हजूर,
ये आशिक़ों की बस्तियाँ हैं
यहाँ चाँद से दिन निकलता हें”
********
तेरे हुस्न की क्या तारीफ़ करूँ
कुछ कहते हुए भी डरता हूँ
कहीं भूल से तू ना समझ बैठे
की मैं तुझसे मोहब्बत करता हूँ.
********
तुम दिल से हमें यों पुकारा ना करो, यु तुम हमें इशारा ना करो..
दूर हैं तुमसे ये मजबूरी है हमारी,
तुम तन्हाइयों में यूं तडपया ना करो…
***********
“हर सागर के दो किनारे होते है,
कुछ लोग जान से भी प्यारे होते है,
ये ज़रूरी नहीं हर कोई पास हो,
क्योंकी जिंदगी में यादों के भी सहारे होते है.”
********
और कुछ भी दरकार नहीँ मुझे तुझसे मौला ,
मेरी चादर मेरे पैरों के बराबर कर दे..!!
********
वो न आए उनकी याद वफ़ा कर गई,
उनसे मिलने की चाह सुकून तबाह कर गई,
आहट दरवाज़े की हुई तो उठकर देखा,
मज़ाक हमसे हवा कर गई.
*******
जमाने से कब के गुजर गए होते,
ठोकर न लगी होती तो बच गए होते,
बंधे थे बस तेरी दोस्ती के धागे में,
वरना कब के बिखर गए होते |
******
जिंदगी का खेल शतरंज से भी मज़ेदार होता है,
लोग हारते भी है तो अपनी ही रानी से 
*********
ना शाखों ने जगह दी ,, ना हवाओं ने बख्शा..!!
मैं हूँ टुटा हुआ पत्ता ,, आवारा ना बनता तो क्या करता ..?
*********
आइना देखा जब ,तो खुद को तसल्ली हुई,
ख़ुदग़र्ज़ी के ज़माने में भी कोई तो जानता है हमें ..!!
********
काश बनाने वाले ने दिल कांच के बनाये होते,
तोड़ने वाले के हाथ में ज़ख्म तो आये होते.
********
दादागिरी तो हम मरने के बाद भी करेंगे ,
लोग पैदल चैलेगे और हम कंधो पर…
*********
वो मन्दिर भी जाता है और मस्जिद भी;
परेशान पति का कोई मज़हब नहीं होता!!
********
चेहरे अजनबी हो भी जायें तो कोई बात नहीं लेकिन,
रवैये अजनबी हो जाये तो बड़ी तकलीफ देते हैं…।”
**********
जहाँ यार याद न आए वो तन्हाई किस काम की, बिगड़े रिश्ते न बने तो खुदाई किस काम की,
बेशक अपनी मंज़िल तक जाना है ,
पर जहाँ से अपना दोस्त ना दिखे वो ऊंचाई किस काम की ..
*********
पलकों पे शबनम लिखते हैं,
जब आँखों का ग़म लिखते हैं,
गीत ग़ज़ल सब झूठी बातें,
ज़ख़्मों पे मरहम लिखते हैं,
रूठा है इक साथी जबसे,
चाहत के मौसम लिखते हैं,
उनका है कुछ ज़्यादा हिस्सा,
खुद को थोड़ा कम लिखते हैं,
जब तन्हा रोती हैं रातें,
यादों को हमदम लिखते हैं,
क्यूँ खटके दुनिया को,
ऐसा भी क्या हम लिखते हैं,
********
एक छुपी हुई पहचान रखता हूँ,
बाहर शांत हूँ, अंदर तूफान रखता हूँ,
रख के तराजू में अपने दोस्त की खुशियाँ,
दूसरे पलड़े में मैं अपनी जान रखता हूँ।
बंदों से क्या, रब से भी कुछ नहीं माँगा
मैं मुफलिसी में भी नवाबी शान रखता हूँ।
मुर्दों की बस्ती में ज़मीर को ज़िंदा रख कर,
ए जिंदगी मैं तेरे उसूलों का मान रखता हूँ।
**********
ज़मीन पर तो वो मेरा नाम लिखते है और मिटाते है…
उनका तो टाइम पास हो जाता है…
कमबख्त मिट्टी में हम मिल जाते है…
*********
ज़हर मिलता रहा ज़हर पीते रहे
रोज़ मरते रहे रोज़ जीते रहे
ज़िंदगी भी हमें आजमाती रही
और हम भी उसे आजमाते रहे
********
बस इतनी सी बात पर हमारा परिचय तमाम होता है !
हम उस रास्ते नही जाते जो रास्ता आम होता है…!!!!
*******
ये कफ़न,
ये जनाजे,
ये कबर…
रस्म-ऐ-दुनिया है दोस्त,
मर तो इंसान तब ही जाता है
जब याद करने वाला कोई न हो…
*********
मेरी आँखों के जादू से अभी तुम नावाकिफ़ हो
हम उसे ज़ीना सिखा देते हे जिसे मरने का शौक़ हो
**********
उतरे जो ज़िन्दगी तेरी गहराइयों में।
महफ़िल में रह के भी रहे तनहाइयों में
इसे दीवानगी नहीं तो और क्या कहें।
प्यार ढुढतेँ रहे परछाईयों मेँ।
********
हमारे इश्क का अंदाज कुछ अजीब सा था, दोस्तों, लोग इन्सान देखकर मोहब्बत करते है,
हमनें मोहब्बत करके इन्सान देख लिया !!!
********
मुद्दतों बाद जब उनसे बात हुई तो बातों बातों में मैंने कहा..
“कुछ झूठ ही बोल दो”
और वो हँस के बोले….
तुम्हारी याद बहुत आती है!!!
*********
“सोचता हूँ सागर की लहरों को देख कर,
क्यूँ ये किनारे से टकरा कर पलट जातें हैं,
करते हैं ये सागर से बेवफाई,
या फिर सागर से वफ़ा निभातें हैं|”
********
“पड़ जाती है उसकी आदत ,
जो मुश्किलों में करीब होते हैं,
सच ही कहा है किसी ने ये सहारे भी अजीब होते हैं”….
*********
तकदीरें बदल जाती हैं, जब ज़िन्दगी का कोई मकसद हो;
वर्ना ज़िन्दगी कट ही जाती है ‘तकदीर’ को इल्ज़ाम देते देते!
*********
बड़ी मुश्किल से बना हूँ टूट जाने के बाद,
मैं आज भी रो देता हूँ मुस्कुराने के बाद
तुझसे मोहब्बत थी मुझे बेइन्तहा लेकिन,
अक्सर ये महसूस हुआ तेरे जाने के बाद
अब तक ढून्ढ रहा हूँ मैं अपने अन्दर के उस शख्स को,
जो नज़र से खो गया है नज़र आने के बाद ..
*********
खाक मुझ में कोई कमाल रखा है,
मेरे दाता मुझे तो तूने संभाल रखा है…
मेरे ऐबों पे डाल के पर्दा,
मुझे अच्छों में डाल रखा है…
मेरा नाता अपने से जोड़ के,
तूने मेरी हर मुसीबत को टाल रखा है…
मैं तो कब का मिट गया होता,
बस तेरी रहमतों ने मुझे संभाल रखा है…
********
जब हाथ आसमां तक नहीं पहुँचते..
मैं पैर बुज़ुर्गों के छुं लेता हूं..!
*********
कुए में उतरने वाली बाल्टी यदि झुकती है ,
तो भरकर बाहर आती है ,
जीवन का भी यही गणित है, जो झुकता है वह प्राप्त करता है .
********
अपने हुस्न पर मेरी जान गुरूर नहीं करती….
अरे!!…कोई तो उसे बताओ…
उस सा हसीं दुनिया में…कोई और नहीं।
*****–**
उसने हाथो से छू कर दरिया के
पानी को गुलाबी कर दिया,
हमारी बात तो और थी उसने
मछलियों को भी शराबी कर दिया….
********
लोग मेरे पीठ पीछे लाख बुराई करते होंगे, लेकिन मेरी पीठ नें कभी शिकायत नहीं की,क्यूंकि वोह मेरा ध्येय जानती है!
**********
“ठोकरें खाकर भी ना संभले तो मुसाफिर का नसीब, राह के पत्थर तो अपना फ़र्ज़ अदा करते हैं”
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जीना चाहता हूँ मगर जिदगी राज़ नहीं आती,
मरना चाहता हूँ मगर मौत पास नहीं आती,
उदास हु इस जिनदगी से,
क्युकी उसकी यादे भी तो तरपाने से बाज नहीं आती ..
*******
आज अजीब क़िस्सा देखा हमने खूदखुशी का,,, १ शख़्स ने ज़िंदगी से तंग आ कर मोहब्बत कर ली
********
मैंने कहा आज झूठ का दिन हैं…..
वो मुस्करा के बोले, फिर तुम मेरे हो.
*******
याद नही करोगे तो भुला भी ना सकोगे
मेरा ख्याल ज़ेहन से मिटा भी ना सकोगे
एक बार जो तुम मेरे गम से मिलोगे
तो सारी उमर मुस्कुरा ना सकोगे..!
********
तेरी आँखे गुलाब.. पलकें पंखुड़ियाँ,
आँसू गुलाब जल.. जो बहे तो थम जाए दुनिया !
*******
न ठहरो मेरे दिल की वादी में चलते चले जाओ,
रूकोगी तो फिर से इश्क कर बैठोगी !!!!
********
तलब ये कि तुम मिल जाओ,
हसरत ये कि उम्र भर के लिये
*******
सुकून गिरवी है उसके पास।
मोहब्बत क़र्ज़ ली थी जिससे।!!!
********
आँसू आ जाते हैं आँखों में पर लबों पर हंसी लानी पड़ती है
ये मोहब्बत भी क्या चीज़ है यारो जिस से करते हैं उसी से छुपानी पड़ती है…..!!!!!
********
ऐ “ख़ुदा” तू कभी इश्क न करना.. बेमौत मरा जायेगा !
हम तो मर के भी तेरे पास आते है
पर तू कहा जायेगा………………।
*******
मत पूछ शीशे से उसके टूटने की वजह,
उसने भी मेरी तरह किसी पत्थर को अपना समजा होगा….!!!!!
********
प्यार कि ये सौगात नहीं सोने देगी
मुझको बैरन रात नहीं सोने देगी !
आकर लेटा हूँ और तेरी याद आ गई
अब तो ये बदजात नहीं सोने देगी !
मुझपे लुटाई थी तूने जी भर के जो
जज्बों कि खैरात नहीं सोने देगी !
आते आते रुक गई मिलन की बेला में
होठों पे वो बात नहीं सोने देगी !
सीने से जो लगी पड़ी कबसे मेरे
अधूरी वो मुलाकात नहीं सोने देती !
तेरे लिये लड़ा ज़माने भर से मैं
मुझ पे ही तेरी घात नहीं सोने देगी !
तेरे महल में जाके जो महसूस हुई
मुझे मेरी औकात नहीं सोने देगी !
********
मैखाने से दीवानों का
रिश्ता है पुराना,
दिल मिले तो मैखाना,
दिल टूटे तो मैखाना”…
********
हम वो नहीं जो दिल तोड़ देंगे;
थाम कर हाथ साथ छोड़ देंगे;
हम दोस्ती करते हैं पानी और मछली की तरह;
जुदा करना चाहे कोई तो हम दम तोड़ देंगे।
********
मैंने इंसान की वफ़ा पर यकीन करना छोड़
दिया है ……….!!
जब किस्मत बदल सकती है तो ये मिट्टी के इंसान क्यों नहीं …
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याद करने की हमने हद कर दी लेकिन
भूल जाने में तुम भी कमाल करते हो
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अहिस्ता कीजिये कत्ल मेरे अरमानो का..
कही सपनो से लोगो का ऐतबार ना उठ जाए….
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उन से कह दो अपनी ख़ास हिफाज़त किया करे ..
बेशक साँसे उनकी है … पर जान तो मेरी है …!!
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मेरी खामोशियो का कोई मोल नहीं,
उनकी जिद्द की कीमत ज्यादा है! !
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एहसान जताना जाने कैसे सीख लिया;
मोहब्बत जताते तो कुछ और बात थी।
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तुम क्या समझते हो की ,तुम्हारे सीवा हमें कोई चाहने वाला नहीं ।
तुम छोड़ो तो सही, मौत खड़ी है हमें अपनाने के लिए ।
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लिखना दिल का हिसाब चुपके से ,
मुझको देना जवाब चुपके से !
मेरे ख्वाबों में तुम चली आना ,
मई भी देखूंगा ख्वाब चुपके से !
मै ज़माने से छुप के देखूंगा ,
तुम हटाना नकाब चुपके से !
दिल कि दुनिया में जब भी आना हो ,
आईयेगा जनाब चुपके से !
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मिलने का वादा मुंह से तो उनके निकल गया,
पूछी जगह जो मैंने, कहा हंस के की ख़्वाब में…
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ये इश्क भी एक अजीब एहसास होता है…
अल्ज़फों से ज्यादा निगाहोसे बया होता है…
हर पल बस उसके गम और खुशी की फ़िक्र होती है…
इसी एहसास से तो हमको जीने का गुमान होता है…
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कैसे भुला दूँ उस भूलने वाले को मैं..
मौत इंसानों को आती है यादों को नहीं..
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सब समझते है, बात मतलब की,
किस ने समझा है, बात का मतलब…
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ये मौत भी अजीब चीज़ है दोस्तों एक दिन मरने के लिए पूरी जिंदगी जीना पड़ती है…
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इंसानियत ही पहला धर्मं है इंसान का…
फिर पन्ना खुलता है गीता या कुरान का…
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हम वक्त और हालात के साथ ‘शौक’ बदलते हैं,
दोस्त नही … !!
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भरी बरसात में उड़ के दिखा ऐ माहिर परिंदे
आसमान खुला हो तो तिनके भी सफर किया करते हैं !!
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तेरा हुआ ज़िक्र तो हम; तेरे सजदे में झुक गये,,,
अब क्या फर्क पड़ता है; मंदिर में झुक गये या;
मस्जिद में झुक गये!!!
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गिला शिकवा ही कर डालो कि कुछ वक्त कट जाए..!!
लबों पे आपके ये खामोशी अच्छी नहीं लगती..!!
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“कोई वादा नहीं फिर भी प्यार है,
जुदाई के बावजूद भी तुझपे अधिकार है.
तेरे चेहरे की उदासी दे रही है गवाही,
मुझसे मिलने को तू भी बेक़रार ह ै.”
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“मेरे दिल के नाज़ुक धड़कनो को,
तुमने धड़कना सिखा दिया…..
जब से मिल ा हैं प्यार तेरा,
ग़म में भी मुस्कुराना सिखा दिया.”
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मुजे एक ने पूछा “कहा रहते हो “
मैंने कहा “औकात मे “
साले ने फिर पूछा “कब तक ?”
मैंने कहा “सामने वाला रहे तब तक “
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प्यार में मेरे सब्र का इम्तेहान तो देखो..
वो मेरी ही बाँहों में सो गए किसी और के लिए रोते रोते …।
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वक्त थोड़ा है पास मेरे,
पर बहुत कुछ अभी करना बाकी है।
वो जख्म जो अपनों ने दिये,
उसे भी भरना बाकी है।
तेरी दोस्ती की आदत सी पड़ गयी है मुझे,
कुछ देर तेरे साथ चलना बाकी है।
शमसान मैं जलता छोड़ कर मत जाना,
वरना रूह कहेगी कि रुक जा,
अभी तेरे यार का दिल जलना बाकी है।
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पैसे के नशे में जब आदमी चूर होता है ,
उसे लालच का हर फैसला मंजूर होता है.
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तेरी पहचान भी न खो जाए रफ्ता रफ्ता,
इतने चेहरे न बदल थोड़ी सी शोहरत के लिए …
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मोहब्बत क्या है चलो दो लफ्ज़ो में बताते है
तेरा मजबूर कर देना मेरा मजबूर हो जाना!!
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कोई रूह का तलबगार मिले तो हम भी महोब्बत कर ले…
यहाँ दिल तो बहुत मिलते है,बस कोई दिल से नहीं मिलता…
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बहुत देखा जीवन में समझदार बन कर
पर ख़ुशी हमेशा पागल बनने पर आयी।
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सिर्फ एक एहसास करने का अंदाज़ बदल जाया करते है,
वरना आँचल और कफ़न एक ही धागे से बनते है।
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दिखावे की मुहब्बत से बेहतर है नफरत ही करो हमसे,
हम सच्चे जज़्बों की बड़ी कदर किया करते हैं……!
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मोती हूँ तो दामन में पिरो लो मुझे अपने,
आँसू हूँ तो पलकों से गिरा क्यूँ नहीं देते ?
साया हूँ तो साथ ना रखने कि वज़ह क्या ,
पत्थर हूँ तो रास्ते से हटा क्यूँ नहीं देते ?
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मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है !
कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है !!
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं !
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है !!
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“आपने कहा मोहब्बत पूरी नहीं होती |
हम कहते हैं हर बार ये बात जरुरी नहीं होती ||
मोहब्बत तो वो भी करते हैं उनसे……|
जिन्हें पाने की कोई उम्मीद नहीं होती ||”
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दोलत मेरा नशा हे.. खोफ मेरा हथीयार हे.. जीन्दगी से खेलना मेरा शोख हे.. ओर खेलता हु वो भी अपनी शरतो पर.. ओर जीतना मेरी झीद नही मेरी आदत हे..
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” ऐ चांद चला जा क्यो आया है मेरी चौखट पर…..
छोड गये वो शख्स जिसकी याद मे हम तुझे देखा करते थे …
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“ना तस्वीर है उसकी जो दिदार किया जाऐ,
ना पास है वो जो उससे प्यार किया जाऐ,
ये कैसा दर्द दिया उस बेदर्द ने,
ना उससे कुछ कहा जाऐ..ना उसके बिन रहा जाऐ..”
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किनारे पर तैरने वाली लाश को देखकर ये समझ आया ….
बोझ शरीर का नही साँसों का था !!
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शराब और इश्क़ कि फितरत एक सी है,
दोनों में वोही नशा, वोही दिलकशी ;
एक दिन तौबा करो उनसे , दुसरे दिन फिर वोही दीवानगी ,
फिर वोही खुदखुशी..
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“हर रिश्ते में विश्वास रहने दो;
जुबान पर हर वक़्त मिठास रहने दो;
यही तो अंदाज़ है जिंदगी जीने का;
न खुद रहो उदास, न दूसरों को रहने दो..!”

2 Feb 2014

बाज़ीचा-ए-अत्फ़ाल है दुनिया मेरे आगे / ग़ालिब

बाज़ीचा-ए-अत्फ़ाल[1] है दुनिया, मेरे आग
होता है शब-ओ-रोज़[2] तमाशा, मेरे आगे

इक खेल है औरंग-ए-सुलेमां[3] मेरे नज़दीक
इक बात है ऐजाज़-ए-मसीहा[4], मेरे आगे

जुज़[5] नाम, नहीं सूरत-ए-आ़लम[6] मुझे मंज़ूर
जुज़ वहम, नहीं हस्ती-ए-अशया[7], मेरे आगे

1 बच्चों का खेल
2 रात और दिन
3 सुलेमान नामक अवतार का राजसिंहासन
4 ईसा का चमत्कार जिनकी फूँक से मुर्दे जीवित हो उठते थे
5 के सिवा
6 संसार का अस्तित्व
7 अस्तित्व जैसी चीज़

होता है निहाँ[8] गर्द में सहरा मेरे होते
घिसता है जबीं[9] ख़ाक पे दरिया, मेरे आगे

मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे पीछे
तू देख कि क्या रंग है तेरा, मेरे आगे

सच कहते हो, ख़ुदबीन-ओ-ख़ुदआरा[10] हूँ, न क्यों हूँ
बैठा है बुत-ए-आईना[11] सीमा[12], मेरे आगे

फिर देखिये अन्दाज़-ए-गुलअफ़्शानी-ए-गुफ़्तार[13]
रख दे कोई पैमाना-ए-सहबा[14], मेरे आगे

8 लुप्त
9 माथा
10गर्वितऔर आत्म-अलंकृत
11प्रिय का दर्पण
12विशेषकर
13बात का अंदाज़ यूँ कि जैसे फूल झड़ते हों
14मधुपात्र और मदिरा

नफ़रत का गुमाँ गुज़रे है, मैं रश्क से गुज़रा
क्योंकर कहूँ, लो नाम न उनका मेरे आगे

ईमाँ[15] मुझे रोके है, जो खींचे है मुझे कुफ़्र[16]
काबा मेरे पीछे है, कलीसा[17] मेरे आगे

आशिक़ हूँ, पे माशूक़-फ़रेबी[18] है मेरा काम
मजनूं को बुरा कहती है लैला, मेरे आगे

ख़ुश होते हैं, पर वस्ल में, यूँ मर नहीं जाते
आई शबे-हिजराँ[19] की तमन्ना, मेरे आगे

है मौज-ज़न[20] इक क़ुल्ज़ुमे-ख़ूँ[21] काश! यही हो
आता है अभी देखिये क्या-क्या, मेरे आगे

गो हाथ को जुम्बिश[22] नहीं, आँखों में तो दम है
रहने दो अभी साग़र-ओ-मीना[23], मेरे आगे

हमपेशा-ओ-हमशरब-ओ-हमराज़[24] है मेरा
'ग़ालिब' को बुरा क्यों, कहो अच्छा, मेरे आगे

15 धर्म
 16अधर्म
 17गिरजाघर
 18माशूक़ को रिझाने का काम
 19 विरह-रात्रि
 20लहरें मारता हुआ
 21 रक्त का समुद्र
 22हरक़त
 23शराब का प्याला और सुराही
 24सहव्यवसायी/सहपंथी,मेरे जैसा शराबी और विश्वासपात्र
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