31 Jan 2013

इंतज़ार.... wait...

रूह छोड़ क़दमों में तेरे
बेजान जिस्म लिए जा रहा  हूँ
जीना क्या है
बस तेरे इंतज़ार का बहाना है
वक़्त की सूई में
उम्मीद के धागे से
मोहब्बत के ज़ख्म सिये जा रहा  हूँ..........

वो रोये तो बहुत















वो रोये  तो बहुत पर मुझसे मुह मोड के रोये  ...
कोई   मजबूरी रही होगी जो दिल तोड़ के रोये
मेरे सामने कर दिये मेरी तस्वीर के हज़ार टुकड़े
 पता लगा मेरे पीछे वो उन्हे जोड़ के रोये !
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हो सकता है ये उसकी जिंदगी की सच्चाई हो
तोड़ दिया हो दिल मगर बाद में पछताई हो
आखिर ये सिलसिला कब तक चल पाएगा
जिस्म का हिस्सा दूसरे के बिना कब ताज रह पाएगा

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क्या लेकर आया था क्या लेकर जाएगा
हुमसे दूर रह कर आपका दिल कब तक रह  पाएगा
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2. बातों-बातों में बिछडने का इशारा करके
खुद भी रोये वो बहुत हमसे किनारा करके  !
जगमगा दी हैं तेरे शहर की गलियाँ हमने
अपने हर अश्‍क को पलकों का सितारा करके !
देख लेते हैं चलो हौसला अपने दिल का
और कुछ दिन तेरे बगैर गुजारा करके !!
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