9 Feb 2018

ये तो उम्र का तकाजा है

ये तो उम्र का तकाजा है जो अब सर्दी जुकाम रहता है,
वर्ना फरवरी के महीने में हमें इश्क हुआ करता था...!!

कभी हो मुखातिब तो कहूँ क्या मर्ज़ है मेरा,

कभी हो मुखातिब तो कहूँ क्या मर्ज़ है मेरा,
अब तुम ख़त में पूछोगे तो खैरियत ही कहेंगे...

रस्सी जैसी जिंदगी...तने-तने हालात

रस्सी जैसी जिंदगी...तने-तने हालात.....
एक सिरे पे ख़्वाहिशें...दूजे पे औकात....!

भीगी हुई इक शाम की दहलीज़ पे बैठे


भीगी हुई इक शाम की दहलीज़ पे बैठे
हम दिल के सुलगने का सबब सोच रहे हैं

तज़ुर्बा कहता है मोहब्बत से किनारा कर लूँ

तज़ुर्बा कहता है मोहब्बत से किनारा कर लूँ
और दिल कहता है ये तज़ुर्बा दोबारा कर लूँ
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...