यांदे संभाली है इस दिल में... सुना इस दुनिया में सब बिकता है... अफसोस मुझे इनका कोई का खरीददार न मिला
कभी कभी तो छलक पड़ती है यूँही आंखें
उदास होने का कोई सबब नहीं होता
ख़ूबसूरत उदास ख़ौफ़ज़दा
वो भी है बीसवीं सदी की तरह
बशीर बद्र
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