तेरे फिराक के लम्हे शुमार करते हुए
बिखर गए है तेरा इंतज़ार करते हुए
मैं भी खुश हु कोई उससे जा के कह दे,
अगर वो खुश है मुझसे बेक़रार करते हुए
मैं मुस्कुराता हुआ आईने में उभरूँगा,
वो पड़ेगा अचानक सिंगार करते हुए
तुझे खबर ही नहीं टूट गया है कोई
मोहब्बत को बोहत पाईदार करते हुए
वो कह रही थी समंदर नही है आंखो में
मैं उन में डूब गया एतबार करते हुए
बिखर गए है तेरा इंतज़ार करते हुए
मैं भी खुश हु कोई उससे जा के कह दे,
अगर वो खुश है मुझसे बेक़रार करते हुए
मैं मुस्कुराता हुआ आईने में उभरूँगा,
वो पड़ेगा अचानक सिंगार करते हुए
तुझे खबर ही नहीं टूट गया है कोई
मोहब्बत को बोहत पाईदार करते हुए
वो कह रही थी समंदर नही है आंखो में
मैं उन में डूब गया एतबार करते हुए
No comments:
Post a Comment