27 Apr 2013

डूब गया एतबार करते हुए

तेरे फिराक के लम्हे शुमार करते हुए
बिखर गए है तेरा इंतज़ार करते हुए

मैं भी खुश हु कोई उससे जा के कह दे,
अगर वो खुश है मुझसे बेक़रार करते हुए

मैं मुस्कुराता हुआ आईने में उभरूँगा,
वो पड़ेगा अचानक सिंगार करते हुए

तुझे खबर ही नहीं टूट गया है कोई
मोहब्बत को बोहत पाईदार करते हुए

वो कह रही थी समंदर नही है आंखो में
मैं उन में डूब गया एतबार करते हुए

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