दो अश्क मेरी याद में बहा जाते तो क्या जाता ,
चंद कलियाँ लाश पर बिछा जाते तो क्या जाता !
आये हो मय्यत पर सनम ओढ़ कर नकाब तुम ,
अगर ये चाँद का टुकड़ा दिखा जाते तो क्या जाता !
पूछते थे लोग तुमसे किसका है जनाज़ा यह ,
मरने वाला कौन था बता जाते तो क्या जाता !
सबके सामने मेरी उल्फत को रुसवा कर दिया
नज़र की तल्खीयां ,छुपा जाते तो क्या जाता !
हर ज़ख्म ने मेरे तुम्हे दी हैं दुआएं उम्र भर ,
हाय , इक बार सीने से लगा जाते तो क्या जाता !
तुमको याद करते -करते जान दे दी ,,,,
इक्क चिराग ही मज़ार पर जला जाते तो क्या जाता !!,,
चंद कलियाँ लाश पर बिछा जाते तो क्या जाता !
आये हो मय्यत पर सनम ओढ़ कर नकाब तुम ,
अगर ये चाँद का टुकड़ा दिखा जाते तो क्या जाता !
पूछते थे लोग तुमसे किसका है जनाज़ा यह ,
मरने वाला कौन था बता जाते तो क्या जाता !
सबके सामने मेरी उल्फत को रुसवा कर दिया
नज़र की तल्खीयां ,छुपा जाते तो क्या जाता !
हर ज़ख्म ने मेरे तुम्हे दी हैं दुआएं उम्र भर ,
हाय , इक बार सीने से लगा जाते तो क्या जाता !
तुमको याद करते -करते जान दे दी ,,,,
इक्क चिराग ही मज़ार पर जला जाते तो क्या जाता !!,,