मैं तो यादों के चरागों को जलाने में रहा
दिल कि दहलीज़ को अश्कों से सजाने मे रहा
मुड़ गए वो तो सिक्को की खनक सुनकर
मैं गरीबी की लकीरों को मिटाने में रहा
दिल कि दहलीज़ को अश्कों से सजाने मे रहा
मुड़ गए वो तो सिक्को की खनक सुनकर
मैं गरीबी की लकीरों को मिटाने में रहा