1)वो आएगी घर पर मेरे सुन कर मौत की खबर मेरी
यारो ज़रा कफन हटा देना
कम से कम दीदार तो होगा
मय्यत को मेरी देख के अगर रो दे तो उठा देना
अगर खामोश रहे तो चेहरा छुपा देना
हमसे अगर वो करती है मोहब्बत तो इजहार वो करेगी
अगर न करे इजहार तो ज़ालिम को धक्के मार के घर निकाल देना
2)बहुत चाह मगर उन्हें भुला न सके,
खयालों में किसी और को ला न सके.
उनको देख के आँसू तो पोंछ लिए,
पर किसी और को देख के मुस्कुरा न सके.
3)खा कर फरेब और दगा जमाने में रह गये
हम दोस्ती का फ़र्ज़ निभाने में रह गये
एक पल में दुनिया हमसे आगे निकल गई
हम दोस्तों से हाथ मिलाने में रह गये
4)जिक्र इतना किया तेरा कि तू बेवफा हो गया
नाम इतना लिया तेरा कि खुदा भी खफा हो गया
मुमकिन नहीं अब तो कि पीछे लौट जाये हम
मानते है गुनाह था,पर जो हो गया सो हो गया
मुदतें हो गयी देखे तुझको,पर दिल पे तेरा ही साया है
आँखों में आज तलक वो मंजर समाया है
काश आसा होता इतना यादो को मिटा पाना
जैसे तेरा नाम रेत पे लिख-लिख के मिटाया है
5)आशक़ी सब्रतलब और तमन्ना बेताब
दिल का क्या रंग करूँ ख़ूने-जिगर होने तक ।
हमने माना, कि तग़ाफुल न करोगे, लेकिन
ख़ाक हो जाएँगे हम, तुमको ख़बर होने तक ।
6)पीने लगे न खून भी आँसू के साथ-साथ
यों आदमी की प्यास को ज्यादा न दाबिए..
7)सोचा था, इक ग़ज़ल लिखेंगे तुझे याद किये बगैर
ग़ज़ल तो दूर की बात है , एक मतला नहीं लिख पाए
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