31 Mar 2011

सीने में ज़ख़्म

सीने में ज़ख़्म उतारे चले गए
जो हमपे गुज़री गुज़रे चले गए

उम्र दराजी की दुआ मिली जब
दूर हमसे हमारे चले गए

वोह आएगा एक दिन मिलने हमसे
नाम उसका ही पुकारे चले गए

सर्द हवा का झोखा कुछ ऐसा चला
काफिला छोड़ बंजारे चले गए

कहाँ देखें वो रोशन चिराग "सागर"
मुद्दतें बीती वोह नज़ारे चले गए

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