1 Feb 2011

रिमझिम: ढेर सारा अँधेरा

रिमझिम: ढेर सारा अँधेरा: "खाली कमरों में हम दिन गुजारते थे काली स्याह रातों का भी वहीँ डेरा था जिस शख्स को उन कमरों में खो दिया बस, दीवारों के इलावा वही शख्स मेरा था..."

No comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...