परिंदों ने पर फडफडाकर रखे हें ।
आसमां पर निगाहें जमा कर रखे हें ।
मिले जख्म जितने भी दिल को अभी तक ,
सीने से अपने लगा कर रखे हें ।
कहीं जल न जाए ये दामन वफ़ा का ,
दिये आंसुओं के बुझाकर रखे हें ।
खुदा जानता है मिरे दिल की हालत ,
कई राज जिसने छुपाकर रखे हें ।
ग़मों ने सताया ,रुलाया हमेशा ,
मगर मैंने रिश्ते बनाकर रखे हें ।
नजर लग न जाए कहीं इस जहां की ,
मुहब्बत के किस्से छुपाकर रखे हें
No comments:
Post a Comment