कभी चढ़ तो कभी उतर जाएँ
लहर बन कर मगर किधर जाएँ
इसलिए भी कुरेदा करते हैं
ज़ख्म दिल के कहीं ये भर न जाएँ
दिया है ज़ख्म अब न देना दवा
टुकड़े दिल के न सब बिखर जाएँ
लौट आयें हैं हम तेरे दिल से
आप भी बस अब अपने घर जाए
कौन हमको मानाने आएगा
आप ही रूठ कर अगर जाएँ
दिल "सागर" से लगाये ही रखना
भूल से भी न वो सुधर जाएँ
यांदे संभाली है इस दिल में... सुना इस दुनिया में सब बिकता है... अफसोस मुझे इनका कोई का खरीददार न मिला
31 Mar 2011
सीने में ज़ख़्म
सीने में ज़ख़्म उतारे चले गए
जो हमपे गुज़री गुज़रे चले गए
उम्र दराजी की दुआ मिली जब
दूर हमसे हमारे चले गए
वोह आएगा एक दिन मिलने हमसे
नाम उसका ही पुकारे चले गए
सर्द हवा का झोखा कुछ ऐसा चला
काफिला छोड़ बंजारे चले गए
कहाँ देखें वो रोशन चिराग "सागर"
मुद्दतें बीती वोह नज़ारे चले गए
जो हमपे गुज़री गुज़रे चले गए
उम्र दराजी की दुआ मिली जब
दूर हमसे हमारे चले गए
वोह आएगा एक दिन मिलने हमसे
नाम उसका ही पुकारे चले गए
सर्द हवा का झोखा कुछ ऐसा चला
काफिला छोड़ बंजारे चले गए
कहाँ देखें वो रोशन चिराग "सागर"
मुद्दतें बीती वोह नज़ारे चले गए
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