ता फिर न इन्तज़ार में नींद आये उम्र भर
आने का अहद कर गये आये जो ख़्वाब में
मैनें एहद किया था न उस से मिलूंगा मैं
वो रेत पे लकीर थी पत्थर पे नहीं थी ।
ग़म तो ये है कि वो अहदे वफ़ा टूट गया
बेवफ़ा कोई भी हो तुम न सही हम ही सही (राही मासूम रज़ा)
कहा था किसने के अहद-ए-वफ़ा करो उससे
जो यूँ किया है तो फिर क्यूँ गिला करो उससे (अहमद फ़राज़)
अह्द-ए-जवानी रो-रो काटा, पीरी में लीं आँखें मूँद
यानि रात बहोत थे जागे सुबह हुई आराम किया (मीर तक़ी 'मीर')
तुम्हारे अह्द-ए-वफ़ा को अहद मैं क्या समझूं
मुझे ख़ुद अपनी मोहब्बत का ऐतबार नहीं (साहिर लुधियानवी)
ऐ ज़िन्दगी एक अह्द मांगता हूँ तुझसे
फ़िर ये ही खेल हो तो मेरे साथ ना हो
वो जब से उम्र कि बदरिया सफ़ेद हो गयी
एहदे वफ़ा तो छोड़ो मुस्कुराता नहीं कोई
और क्या अहदे वफ़ा होते हैं
लोग मिलते हैं,जुदा होते हैं
हमें किसी की अहदे वफ़ा का इल्म नहीं
हम और हमारी महफ़िल बरक़रार रहे
निभानी नहीं आती उसे रस्म अहद वफा की ,
टूटती हैं चूडियाँ हर दिन बेवफाई से
अहद का अर्थ है:
१ प्रतिज्ञा या वचन ।
२ काल या युग ( अहद-ए-संग= प्रस्तर युग)
३ राज्य या सत्ता
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