12 Apr 2012

अशआर

हर ज़ख्म नया पुराने ज़ख्मों की गिनती घटा देता है
जाने मुझे कब रखना उनके सितम का हिसाब आएगा

--अज्ञात

हमारा तजकिरा छोडो, हम ऐसे लोग हैं जिन को
मोहब्बत कुछ नहीं कहती, वफायें मार जाती हैं

--अज्ञात

लोग सीने में कैद रखते हैं
हमने सर पर चढ़ा लिया दिल को

--अज्ञात

दियो का कद घटाने के लिए रातें बड़ी करना ,
बड़े शेहरो में रहना हो तो बातें बड़ी करना
मोहब्बत में बिछड़ने का हुनर सबको नहीं आता ,
किसी को छोड़ना हो तो मुलाकातें बड़ी करना

--अज्ञात


अभी मसरूफ हूँ काफी, कभी फुरसत में सोचूंगा
के तुझको याद करने में, मैं क्या क्या भूल जाता हूँ

--अज्ञात 

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