1 Feb 2011

रिमझिम: ढेर सारा अँधेरा

रिमझिम: ढेर सारा अँधेरा: "खाली कमरों में हम दिन गुजारते थे काली स्याह रातों का भी वहीँ डेरा था जिस शख्स को उन कमरों में खो दिया बस, दीवारों के इलावा वही शख्स मेरा था..."

हर सुबह तेरा ख्याल आता है

मुद्दत हो गयी है तेरा दीदार किये
फिर भी हर शब तेरा चेहरा जगाता है
हर लम्हा तुझसे वाबस्ता है
हर सुबह तेरा ख्याल आता है

ये ज़िन्दगी रुक सी गयी है तेरे बिन
आईने अब भी तेरा अक्स दिखाता है
मेरे वजूद के हर पहलू में
आज तक तेरा साया झिलमिलाता है

न लौट कर आती है कभी उम्मीद मेरी
मगर दिल ना-मुक्कमल इंतज़ार कराता है
हर गोश में मेरे ख्वाब्गार के
सिर्फ तेरा सपना समाता है

कोई वादा नहीं किया कभी तूने, लेकिन
किसी यकीं पे अब भी वक़्त आस लगाता है
सद् कोशिशों के बावजूद जाने क्यों
भूल कर भी हर रोज़ तू याद आता है

फडफडाकर रखे हें

परिंदों ने पर फडफडाकर रखे हें ।
आसमां पर निगाहें जमा कर रखे हें ।
मिले जख्म जितने भी दिल को अभी तक ,
सीने से अपने लगा कर रखे हें ।
कहीं जल न जाए ये दामन वफ़ा का ,
दिये आंसुओं के बुझाकर रखे हें ।
खुदा जानता है मिरे दिल की हालत ,
कई राज जिसने छुपाकर रखे हें ।
ग़मों ने सताया ,रुलाया हमेशा ,
मगर मैंने रिश्ते बनाकर रखे हें ।
नजर लग न जाए कहीं इस जहां की ,
मुहब्बत के किस्से छुपाकर रखे हें
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