29 Oct 2012

किताबो के पन्ने पलट के सोचते है

किताबो के पन्ने पलट के सोचते है ,
यूँ पलट जाये जिन्दगी तो क्या बात है,
तम्मना जो पूरी हो खवाबो में ,
हकीकत बन जाये तो क्या बात है
कुछ लोग मतलब के लिए ढूंढते है मुझे
बिन मतलब कोई आये तो क्या बात है ,
कतल करके तो सब ले जाएँगे दिल मेरा ,
कोई बातों से ले जाये तो क्या बात है ,
जो शरीफों की शराफत में बात न हो ,
एक शराबी कह जाए तो क्या बात है ,
जिन्दा रहने तक तो ख़ुशी दूंगा सबको ,
किसी को मेरी मौत पे ख़ुशी मिल जाये तो क्या बात है
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